अग्रवाल समाज में अध्यक्ष पद की नियुक्ति को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। प्रदीप मित्तल ग्रुप ने ओपी अग्रवाल की नियुक्ति को नियमों के विरुद्ध बताया है। प्रदीप मित्तल ग्रुप के मुखिया राकेश कुमार गुप्ता का कहना है कि ओपी अग्रवाल का नाम समिति के मतदाता सूची में भी नहीं है। समिति के पूर्व पदाधिकारियों के अनुसार, चुनाव के बाद से कोई नया सदस्य नहीं बनाया गया था। लेकिन अध्यक्ष और महामंत्री की सहमति के बिना ही एक नए व्यक्ति को सदस्य बना दिया गया। इस समय प्रगति ग्रुप और लखदातार ग्रुप दोनों ने अलग-अलग न्यायालय से स्टे ले रखा है। उन्होंने कहा- वर्तमान में समाज के चुनाव में करोड़ों रुपए खर्च होने के बावजूद कोई निर्णायक परिणाम नहीं निकल पाया है। कुछ पूर्व कार्यकारिणी सदस्यों ने खुलासा किया कि उन्हें भी अध्यक्ष बनने का प्रस्ताव दिया गया था। लेकिन चूंकि पुरानी कार्यकारिणी का कार्यकाल समाप्त हो चुका है और न्यायालय का स्टे आदेश है, इसलिए नए अध्यक्ष की नियुक्ति संभव नहीं है। समाज के प्रबुद्धजनों का मानना है कि इस तरह की कार्यवाही से समाज में अराजकता फैलेगी। उनका कहना है कि न्यायालय का जो भी फैसला आएगा, वही मान्य होगा। बीच में इस तरह की उथल-पुथल से समाज की गरिमा को ठेस पहुंच रही है। समाज समिति के विधान की धारा 4 के अनुसार जिस व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में नहीं है वह कार्यकारिणी का सदस्य नहीं बन सकता है सदस्य बनने से व्यक्ति मतदाता नहीं हो सकता है और धारा 10 में 11 आदमियों को अविश्वास पर मीटिंग अध्यक्ष ही बुला सकता है और अध्यक्ष द्वारा दिनांक 26 मार्च 2025 को मिटिग आउत की गई है उससे पूर्व असंवैधानिक मीटिंग बुलाकर किसी को सदस्य नहीं बनाया जा सकता है सहवरण नहीं किया जा सकता है इस समय अध्यक्ष घोषित कर देना समाज की विधान की विपरीत और गैरकानूनी है। वहीं चंदप्रकाश भाड़ेवाला जिनको अविश्वास प्रस्ताव लाकर हटाया गया है उन्होंने भी 26 मार्च को मीटिंग बुलाई है जिसके बाद इनकी रणनीति साफ होगी।
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