जिला मुख्यालय पर स्थित पीएमश्री महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय खान्दूकॉलोनी में राष्ट्रीय बालिका एवं अन्तरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस के गौरवमयी अवसर पर नई राष्ट्रीय शिक्षा के तहत विद्यार्थियों में विज्ञान की सोच को विकसित करने के साथ ही मानव एवं प्रकृति के प्रति अपने दायित्वों के निर्वहन के लिए आविष्कार की सोच को विकसित करने के उद्देश्य से संचालित राष्ट्रीय आविष्कार कार्यक्रम के तहत वे अन्तरराष्ट्रीय विशेषज्ञ वार्ता का आयोजन उप कुलपति, शिक्षाविद एवं वनस्पति वैज्ञानिक प्रोफेसर प्रवीणचन्द्र त्रिवेदी के मुख्य आतिथ्य, शिक्षा विभाग के पूर्व उप निदेशक श्री हरिकृष्ण आचार्य के विशिष्ट आतिथ्य तथा समग्र शिक्षा अभियान बांसवाड़ा के अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक श्री सुशील जैन की अध्यक्षता में सम्पन्न हुुआ। मुख्य वार्ताकार एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर प्रवीणचन्द्र त्रिवेदी ने विभिन्न दृष्टान्तों एवं कहानियों के माध्यम से उपस्थित विद्यार्थियों को मानवीय कर्तव्यों के निर्वहन के लिए वैज्ञानिक सोच को विकसित करने का आह्वान करते हुए कहा कि वर्तमान समय में बिगडते पारिस्थितिकि संतुलन के बीच हमारा दायित्व है कि वैज्ञानिक सोच को विकसित करते हुए ऐसे वैज्ञानिक आविष्कारों का सृजन किया जाए जिससे कि मानव जीवन की सुलभता के साथ ही प्रकृति का संरक्षण भी हो सके। समारोह में राष्ट्रीय बालिका दिवस के तहत कक्षा 11 वी बी की छात्रा सुश्री रितुल जोशी ने काव्य पाठ प्रस्तुत किया जबकि शिक्षिका नित्या उपाध्याय के निर्देशन में नन्हीं बालिकाओं ने नृत्य की प्रस्तुति देकर वातावरण में समा बांधा। इस मौके पर राष्ट्रीय बालिका दिवस के उपलक्ष्य में विद्यालय की कक्षा नर्सरी से बारहवी तक शैक्षिक एवं सह शैक्षिक गतिविधियों में अव्वल रही पांच बालिकाओं का सम्मान व्याख्याता श्रीमती टीना सवोत के निर्देशन में अतिथियों द्वारा प्रमाण पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर किया गया। समारोह में मुख्य अतिथि एवं प्रमुख वार्ताकार प्रोफेसर प्रवीण चंद्र त्रिवेदी ने कहा कि विज्ञान का युग है विज्ञान के आने के बाद आज कुरीतिया खत्म हुई है। उन्नीसवी शताब्दी में औद्योगिक क्रान्ति का आविष्कार हुआ, 20 वी शताब्दी में आईटी और कम्प्यूटर तथा 21 वीं शताब्दी में अब जीव विज्ञान के क्षेत्र में ए आई तकनीक एवं बायो टेक्नोलॉजी के आविष्कार से मानव जीवन की समस्याओं के क्षेत्र में कार्य किया जाने लगा है। उन्होंने कहा कि विज्ञान ने भविष्य को सुरक्षित करने का कार्य किया है। आज का युग जिन थैरेपी का है आर्गन ट्रांसप्लान्ट हो रहा है यह विज्ञान का ही चमत्कार है। उन्होंने कहा कि स्टेल सेल टेक्नोलाजी विकसित हो रही है बडे शहरों में स्टेल सेल बैंक बने हुए है जिससे भविष्य में होने वाली बीमारी से बचाव के साथ ही आर्गन को बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जनसंख्या, प्रदूषण तथा गरीबी तीनों का समाधान बायो टेक्नोलोजी के माध्यम से होने लगा है। उन्होंने कहा कि मुगल एवं अंग्रेजों के शासन काल में अंधकार का युग आया था लेकिन वर्तमान में आज हम फिर आजादी बाद से बदलाव की ओर बढ रहे है तथा नीत नये वैज्ञानिक आविष्कारों के माध्यम से मानव जीवन को सरल बनाने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस के संदर्भ में शिक्षा प्रणाली पर उद्बोधन देते हुए समारोह में उपस्थित शिक्षक शिक्षिकाओं से कहा कि वे बच्चो में जिज्ञासा पैदा करे तभी नई शिक्षा नीति में आविष्कार अभियान को सफल बनाया जा सकता है। उन्होंनें कहा कि शिक्षण जैसे पेशे की सफलता के लिए अध्ययन, मनन, शिक्षण एवं चिन्तन करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि चिन्तन एवं मनन की कमी है, वर्तमान में बच्चे मोबाईल, फेसबुक, टवीटर पर व्यस्त रहते है। समय का प्रबन्धन आवश्यक है समय जो बीता जा रहा है वह जीवन में कभी वापस नहीं आएगा अतः वक्त को संभाल कर रखे तथा वक्त पहचान करते हुए उसके महत्व को समझे। उन्होंने कहा जिन्दगी की खुबसुरती इसमें नही है कि आप कितने खुश है जिन्दगी की खुबसुरती इसमें है कि आपसे कितने खुश है। उन्होने कहा कि शिक्षक का बहुत बडा दायित्व होता है शिक्षक की कमी राष्ट्रीय चरिात्र में झलकती है। मुख्य वक्ता के धारा प्रवाह एक घंटा चार मिनिट तक चले उद्बोधन में विचारों की अभिव्यक्ति के प्रसन्न विद्यार्थी बार-बार तालिका बजा कर प्रवाहित विचारों का अनुमोदन करते रहे। समारोह में मुख्य वक्ता प्रो. त्रिवेदी ने कहा कि जीवन को सामान्य बनाए जीवन को कठिन न बनाए। उन्होंने उपस्थित विद्यार्थियों से विद्यार्थी के पांच लक्षणों का हमेशा पालन करने के साथ ही सकारात्मक विचारों का सृजन करते हुए आगे बढने का आह्वान किया। समारोह में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आदर्शो एवं विचारों पर चर्चा करते हुए कहा कि मानव जीवन को तृष्णा का सागर न बनाए आवश्यकताओं का सीमित रखते हुए जैव विविधता का संरक्षण किया जाए। उन्होंने कहा कि पृथ्वी से इतना ही दोहन करे कि पर्यावरण को क्षति नहीं पहुंचे। समारोह में विशिष्ट अतिथि पद से सम्बोधित करते हुए शिक्षा विभाग के पूर्व उप निदेशक हरिकृष्ण आचार्य ने कहा कि पीएमश्री का उद्देश्य इनोवेशन है और इसके लिए जिज्ञासा का होना नितान्त जरूरी है।
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