अमेरिका ने शनिवार को H-1B वीजा फीस एक लाख डॉलर (करीब 88 लाख रुपए) बढ़ाने की घोषणा के करीब 20 घंटे बाद वहां रहने वाले भारतीयों को बड़ी राहत दी है। अमेरिका ने कहा है कि संशोधित फीस सिर्फ नए आवेदकों के लिए होगी। मौजूदा वीजा होल्डर्स या रिन्यू करवाने वालों पर यह लागू नहीं होगा। एक अमेरिकी प्रशासनिक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी ANI से इसकी पुष्टि करने हुए कहा- पुराने वीजा होल्डर्स को सालाना 88 लाख रुपए देने की जरूरत नहीं है। न ही उन्हें जल्दबाजी में अमेरिका से भारत जाने या वहां से वापस लौटने की कोई जरूरत है। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शनिवार सुबह H-1B वीजा के लिए एप्लिकेशन फीस एक लाख डॉलर बढ़ाने के आदेश पर साइन किए। इसके बाद मेटा, माइक्रोसॉफ्ट और अमेजन जैसी टेक कंपनियों ने अपने विदेशी कर्मचारियों से रविवार तक अमेरिका वापस लौटने को कहा था। H-1B वीजा के लिए नए चार्ज 21 सिंतबर से लागू होंगे। इस वीजा के लिए पहले औसतन 5 लाख रुपए लगते थे। यह 3 साल के लिए मान्य होता था। इसे 3 साल के लिए रिन्यू किया जा सकता था। अब अमेरिका में H-1B वीजा के लिए 6 साल में 5.28 करोड़ लगेंगे, यानी खर्च 50 गुना से ज्यादा बढ़ जाएगा। माइक्रोसॉफ्ट का कर्मचारियों को मैसेज रॉयटर्स के मुताबिक, माइक्रोसॉफ्ट ने शनिवार को अपने कर्मचारियों को एक इंटरनल ईमेल भेजा, जिसमें H-1B और H-4 वीजा धारकों को तुरंत अमेरिका लौटने को कहा है। मेटा ने भी कर्मचारियों को ऐसा ही अलर्ट जारी किया है। माइक्रोसॉफ्ट ने कहा, 'H-1B वीजा धारक अगले कुछ समय तक अमेरिका में ही रहें। H-4 वीजा धारकों को भी यही सलाह है। हमारी सिफारिश है कि दोनों तरह के वीजा धारक 21 सितंबर की डेडलाइन से पहले यानी रविवार तक अमेरिका पहुंच जाएं।' भारतीय प्रोफेशनल्स पर क्या असर पड़ेगा? H-1B वीजा का इस्तेमाल ज्यादातर भारतीय और अन्य देशों के टेक प्रोफेशनल्स करते हैं, जो अमेरिका में नौकरी के लिए जाते हैं। इस नए नियम से भारतीय कर्मचारियों पर बड़ा असर पड़ सकता है। कंपनियों को अब हर कर्मचारी के लिए भारी-भरकम फीस देनी होगी, जिससे उनकी लागत बढ़ेगी। साथ ही जो कर्मचारी अभी भारत या अन्य देशों में हैं, उन्हें जल्द से जल्द अमेरिका लौटना होगा, वरना वे दाखिल नहीं हो पाएंगे। H-1B वीजा के लिए पहले औसतन 5 लाख रुपए लगते थे। यह 3 साल के लिए मान्य होता था। इसे 3 साल के लिए रिन्यू किया जा सकता था। अब अमेरिका में H-1B वीजा के लिए 6 साल में 5.28 करोड़ लगेंगे, यानी खर्च करीब 50 गुना से ज्यादा बढ़ जाएगा। अमेरिकी सरकार हर साल लॉटरी से 85,000 H-1B वीजा जारी करती है, जिनका इस्तेमाल ज्यादातर टेक नौकरियों में होता है। सबसे ज्यादा भारतीय (72%) इसका इस्तेमाल करते हैं। अब वीजा फीस बढ़ने से 3 लाख से ज्यादा भारतीयों पर इसका सीधा असर पड़ेगा। भारत सरकार ने कहा- कई परिवार प्रभावित होंगे अमेरिका के वीजा फीस बढ़ाने के फैसले पर भारत ने भी प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि इस कदम का मानवीय असर भी पड़ेगा, क्योंकि कई परिवार प्रभावित होंगे। सरकार को उम्मीद है कि अमेरिकी अधिकारी इन समस्याओं का हल निकालेंगे। H-1B वीजा नियमों के बदलने से क्या होगा? 6 सवालों के जवाब में जानिए... 1. H-1B वीजा क्या है? H-1B वीजा एक एक नॉन-इमिग्रेंट वीजा है। यह वीजा लॉटरी के जरिए दिए जाते रहे हैं क्योंकि हर साल कई सारे लोग इसके लिए आवेदन करते हैं। यह वीजा स्पेशल टेक्निकल स्किल जैसे IT, आर्किटेक्चर और हेल्थ जैसे प्रोफेशन वाले लोगों के लिए जारी होता है। 2. हर साल कितने H-1B वीजा जारी होते हैं? अमेरिकी सरकार हर साल 85,000 एच-1बी वीजा जारी करती है, जिनका इस्तेमाल ज्यादातर तकनीकी नौकरियों में होता है। इस साल के लिए आवेदन पहले ही पूरे हो चुके हैं। आंकड़ों के अनुसार, केवल अमेजन को ही इस साल 10,000 से ज्यादा वीजा मिले हैं, जबकि माइक्रोसॉफ्ट और मेटा जैसी कंपनियों को 5,000 से अधिक वीजा स्वीकृत हुए हैं। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल H-1B वीजा का सबसे ज्यादा फायदा भारत को मिला। हालांकि इस वीजा कार्यक्रम की आलोचना भी होती है। कई अमेरिकी तकनीकी कर्मचारियों का कहना है कि कंपनियां H-1B वीजा का इस्तेमाल वेतन घटाने और अमेरिकी कर्मचारियों की नौकरियां छीनने के लिए करती हैं। 3. H-1B वीजा में बदलाव से भारतीयों पर क्या असर होगा? H-1B वीजा के नियमों में बदलाव से 2,00,000 से ज्यादा भारतीय प्रभावित होंगे। साल 2023 में H-1B वीजा लेने वालों में 1,91,000 लोग भारतीय थे। ये आंकड़ा 2024 में बढ़कर 2,07,000 हो गई। भारत की आईटी/टेक कंपनियां हर साल हजारों कर्मचारियों को H-1B पर अमेरिका भेजती हैं। हालांकि, अब इतनी ऊंची फीस पर लोगों को अमेरिका भेजना कंपनियों के लिए कम फायदेमंद होगा। 71% भारतीय H-1B वीजा धारक हैं और यह नई फीस उनके लिए बड़ा आर्थिक बोझ बन सकती है। खासकर मिड-लेवल और एंट्री-लेवल कर्मचारियों को वीजा मिलना मुश्किल होगा। कंपनियां नौकरियां आउटसोर्स कर सकती हैं, जिससे अमेरिका में भारतीय पेशेवरों के अवसर कम होंगे। 4. 88 लाख रुपए क्या हर साल लगेंगे? नए नियम के अनुसार, H-1B वीजा के लिए $100,000 (लगभग ₹88 लाख रुपए) की फीस हर साल देनी होगी। यह फीस नए आवेदनों और मौजूदा वीजा धारकों के नवीनीकरण (renewals) दोनों पर लागू होगी। यह फीस 21 सितंबर 2025 से लागू होगी और 12 महीनों के लिए प्रभावी रहेगी, जब तक कि इसे बढ़ाया न जाए। कंपनियों को इस भुगतान का प्रमाण रखना होगा। यदि भुगतान नहीं किया गया, तो याचिका को अमेरिकी राज्य विभाग या होमलैंड सुरक्षा विभाग (DHS) रद्द कर देगा। 5. अमेरिका से बाहर जाने पर क्या होगा? अगर कोई H-1B कर्मचारी 21 सितंबर के बाद देश छोड़ता है, तो वापस अमेरिका आने के लिए उसकी कंपनी को 88 लाख का भुगतान करना होगा। यही कारण है कि इस फैसले के बाद माइक्रोसॉफ्ट, जेपी मॉर्गन और अमेजन जैसी कंपनियों ने H-1B वीजा होल्डर कर्मचारियों को अमेरिका में ही रहने की सलाह दी है। रॉयटर्स के मुताबिक बाहर रहने वाले कर्मचारियों को सलाह दी कि वे शनिवार रात से पहले वापस आ जाएं। 6. कौन सी कंपनियां सबसे ज्यादा H-1B स्पॉन्सर करती हैं? भारत हर साल लाखों इंजीनियरिंग और कंप्यूटर साइंस के ग्रेजुएट तैयार करता है, जो अमेरिका की टेक इंडस्ट्री में बड़ी भूमिका निभाते हैं। इंफोसिस, TCS, विप्रो, कॉग्निजेंट और HCL जैसी कंपनियां सबसे ज्यादा अपने कर्मचारियों को H-1B वीजा स्पॉन्सर करती हैं। कहा जाता है कि भारत अमेरिका को सामान से ज्यादा लोग यानी इंजीनियर, कोडर और छात्र एक्सपोर्ट करता है। अब फीस महंगी होने से भारतीय टैलेंट यूरोप, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, मिडिल ईस्ट के देशों की ओर रुख करेगा। ट्रम्प प्रशासन बोला- H-1B का सबसे ज्यादा गलत इस्तेमाल हुआ व्हाइट हाउस के स्टाफ सेक्रटरी विल शार्फ ने कहा कि H-1B वीजा प्रोग्राम उन वीजा सिस्टम में से एक है जिसका सबसे ज्यादा गलत इस्तेमाल हुआ। इसका मकसद उन सेक्टरों में काम करने वाले हाई स्किल्ड लेबरर्स को अमेरिका में आने की इजाजत देना है, जहां अमेरिकी काम नहीं करते। विल शार्फ ने कहा- नए नियम के तहत, कंपनियां अपने लोगों को H-1B वीजा स्पॉन्सर करने के लिए एक लाख डॉलर फीस चुकाएंगी। इससे यह यह तय होगा कि विदेशों से जो लोग अमेरिका आ रहे हैं, वे सच में बहुत ज्यादा स्किल्ड हैं और उन्हें अमेरिकी कर्मचारी से रिप्लेस नहीं किया जा सकता। ट्रम्प बोले- सिर्फ टैलेंटेड लोगों को वीजा देंगे राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा कि अब अमेरिका सिर्फ टैलेंटेड लोगों को ही वीजा देगा, न कि ऐसे लोगों को जो अमेरिकियों की नौकरियां छीन सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस रकम का इस्तेमाल टैक्स को घटाने और सरकारी कर्ज चुकाने में किया जाएगा। ............................... H-1B वीजा से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... अमेरिकी H-1B वीजा फीस बढ़ी, राहुल बोले- भारतीय पीएम कमजोर; खड़गे ने कहा- मोदी-मोदी का नारा लगवाना विदेश नीति नहीं अमेरिका की तरफ से H-1B वीजा के लिए एप्लिकेशन फीस बढ़ाने पर राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर निशाना साधा। राहुल ने शनिवार को सोशल मीडिया X पर लिखा कि भारत के पास कमजोर प्रधानमंत्री है। राहुल ने 2017 का पोस्ट फिर से शेयर किया, उस वक्त भी उन्होंने मोदी पर आरोप लगाया था कि पीएम ने H-1B वीजा पर अमेरिका से बात नहीं की थी। पूरी खबर पढ़ें...
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अमेरिका बोला- नई H-1बी फीस सिर्फ नए लोगों के लिए:पुराने वीजा होल्डर्स को वापस लौटने की जरूरत नहीं; टेक कंपनियों ने वर्कर्स वापस बुलाए थे
रविवार, सितंबर 21, 2025
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